Kiss Shayari

लगा कर फूल होठों से कहा उसने ये चुपके से,

अगर कोई पास न होता तो तुम उसकी जगह होते।

ख़ौफ़ से यूँ न आँखें बन्द करो,

चूमने से कोई नहीं मरता।

उसके होंठों को चूमा तो एहसास ये हुआ,

पानी ही ज़रूरी नहीं प्यास बुझाने के लिए।

सुना है तुम ले लेते हो हर बात का बदला,

आज़माएंगे कभी तेरे लबों को चूम के।

लबों पे अपने कुछ सवाल ले आते थे रोज़,

वो इन्हें चूमकर अक्सर जवाब छोड़ जाया करती थी।

कितने नाज़ुक हैं मेरे होंठ, क्यों इनको यूं मसल देते हो,

ये फूलों जैसे हैं पर फूल तो नहीं हैं।

रख दे मेरे होठों पे अपने होठों पर कुछ इस तरह,

या तेरी प्यास बुझ जाए या मेरी सांस रुक जाए।

लब जो तेरे मेरे लबों से मिल रहे हैं,

यूँ समझो ये धरती, ये अम्बर फिर एक हो रहे हैं

हमने जब कहा नशा शराब का लाजवाब है,

तो उसने अपने होठों से सारे वहम तोड़ दिए।

उसने इस नज़ाकत से मेरे होठों को चूमा,

कि रोज़ा भी न टूटा और इफ्तारी भी हो गई।

कसके लबों को चूमते वक्त जब,

वो नजरों को झुकाती है,

दिल का हाल अजीब सा होता है,

जब वो हौले से मुस्कुराती है।

माथे को चूम लूँ मैं और उनकी जुल्फ़े बिखर जाये,

इन लम्हों के इंतजार में कहीं जिंदगी न गुज़र जाये।

लिपटा मैं बोसा लेके तो बोले कि देखिये,

ये दूसरी ख़ता है, वो पहला क़ुसूर था।

ग़ज़ब की हैं फरमाइशें इस दिल-ए-नादां की,

वो होते, हम होते और होंठों पर होंठ होते।

मेरे होठों पे उंगलियां क्यों रख दीं तुमने,

चुप ही कराना था तो होंठ रख दिए होते।

आता है जी में साक़ी-ए-मह-वश पे बार बार,

लब चूम लूँ तिरा लब-ए-पैमाना छोड़ कर।

सूरज ढलते ही रख दिये उसने मेरे होठों पर होंठ,

इश्क का रोज़ा था और गज़ब की इफ्तारी।

बस इतना ही कहा था कि बरसों के प्यासे हैं हम,

उसने होठों पे होंठ रख के खामोश कर दिया।

होंठ मिला दिए उसे मेरे होंठों से ये कह कर,

शरब पीना छोड़ दोगे तो ये जाम रोज़ मिलेगा।