Duniya Shayari

काश ऐसी भी हवा चले,

कौन किसका है पता तो चले।

सब फसाने हैं दुनियादारी के,

किस ने किस का सुकून लूटा है,

सच तो ये है कि इस जमाने में,

मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है।

दुआ सलाम में लिपटी जरूरतें माँगे,

कदम कदम पे ये बस्ती तिजारतें माँगे।

आसान नहीं इस दुनिया में ख्वाबों के सहारे जी लेना,

संगीन-हकीकत है दुनिया यह कोई सुनहरा ख्वाब नहीं।

कभी चाल, कभी मकसद, कभी मंसूबे यार होते हैं,

आज के दौर में नमस्कार के मतलब हजार होते हैं।

अब कहाँ दुआओं में वो बरक्कतें,

वो नसीहतें.. वो हिदायतें,

अब तो बस जरूरतों का जुलूस है,

मतलबों के सलाम हैं।

जरा सी बात पर बरसों के याराने गए,

इतना तो हुआ पर कुछ लोग पहचाने गए।

रवायतों की कतारें तोड़कर बढ़ो वरना,

जो तुमसे आगे हैं वो रास्ता नहीं देंगे।

यूँ असर डाला है मतलबी लोगों ने दुनिया पर,

हाल भी पूछो तो समझते हैं कि कोई काम होगा।

दुनिया सलूक करती है हलवाई की तरह,

तुम भी उतारे जाओगे मलाई की तरह।

अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए,

कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए।

शराफ़तों की यहाँ कोई अहमियत ही नहीं,

किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है।

ये दुनिया एक ही पल में तुम्हें बरबाद कर देगी,

मोहब्बत हो भी जाए तो उसे मशहूर मत करना।

ये संग-दिलों की दुनिया है,

यहाँ सँभल के चलना दोस्त,

यहाँ पलकों पे बिठाया जाता है,

नज़रों से गिराने के लिए।

दुश्मनों से प्यार होता जाएगा,

दोस्तों को आज़माते जाइए।

शहर में हमदम पुराने बहुत थे नासिर,

वक़्त पड़ने पे मेरे काम न आया कोई।

बहुत मुश्किल है दुनिया का संवरना,

तेरी जुल्फों का पेच-ओ-खम नहीं है।

हर जज्बात को जुबां नहीं मिलती,

हर आरजू को दुआ नहीं मिलती,

मुस्कान बनाये रखो तो साथ है दुनिया,

वर्ना आंसुओ को भी आंखो मे पनाह नहीं मिलती।

आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं,

महव-ए-हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी।

सिमट गया है दायरा अब लोगों का,

दिल को घर पर रख कर निकलते हैं।