Break Up Shayari

तुम्हारे जाने के बाद कौन रोकता हमें,

तो जी भर के खुद को बरबाद क्या हमने।

मेरी जिंदगी बिगाड़ दी तुमने,

अपने लम्हे सँवारने के लिए।

जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,

अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।

जब ताल्लुक ही नहीं तो हाल क्या पूछते हो,

मैं जैसा भी हूं... बस तुम सा नहीं हूँ।

हालात कुछ इस तरह बदले उसके और मेरे दरमियान,

न उसे मेरी ज़रूरत रही न मुझे उसकी तमन्ना।

आपको भुलाने की कोशिश कर रहा हूँ,

वरना बाद में मुझको ही गम रहेगा,

आपको तो लाखों हैं सहारे दुनिया के,

बाद आपके कौन हमें अपना कहेगा।

ख़्वाब आँखों से गए, नींद रातों से गई,

वो गया तो ऐसे लगा, ज़िंदगी हाँथो से गई।

हमीं ने तर्क-ए-तल्लुक़ में पहल की कि फ़राज़,

वो चाहता था मगर हौसला ना था उसका।

बरबादियों का जायजा लेने के वास्ते,

वो पूछ लेते हैं हाल मेरा कभी कभी।

देखा मुझे तो तर्क-ए-तअल्लुक़ के बावजूद,

वो मुस्कुरा दिया ये हुनर भी उसी का था।

मुख्तसर मोहब्बत का मुख्तसर अंजाम,

वहाँ तुम बिछड़े यहाँ हम बिखरे।

सुन लिया हम ने फैसला तेरा,

और सुन के उदास हो बैठे,

जहन चुप चाप आँख खाली,

जैसे हम कायनात खो बैठे।

बहाना क्यों बनाते हो नाराज होने का

कह क्यों नहीं देते कि

अब दिल में जगह नहीं तुम्हारे लिए।

बेगाना हमने नहीं किया किसी को,

जिसका दिल भरता गया वो हमें छोड़ता गया।

बे-जान तो मैं अब भी नहीं फ़राज़,

मगर जिसे जान कहते थे वो छोड़ गया।

जब मिलने लगा उसकी मोहब्बत में सुकून,

फिर यूँ हुआ वो मेरा साथ छोड़ गया,

अभी बहुत बाकी थी हसरतें दिल में,

मगर वो शख्स अधूरी मुलाक़ात छोड़ गया।

हम तो बने ही थे तबाह होने के लिए,

तेरा छोड़ जाना तो महज़ बहाना बन गया।

हर एक चेहरे को ज़ख़्मों का आईना न कहो,

ये ज़िन्दगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो,

ना जाने कौन सी मजबूरियों का कैदी हो,

वो साथ छोड़ गया है तो बेवफा न कहो।

ऐ चाँद चला जा क्यों आया है तू मेरी चौखट पर,

छोड़ गया वो शख्स जिसके धोखे में तुझे देखते थे।

उस शख्स को बिछड़ने का सलीका नहीं आता,

जाते जाते खुद को मेरे पास छोड़ गया।

उसे कहना कि हम अजल से अकेले रहते हैं,

तुमने छोड़कर हमें कोई अहसान नहीं किया।

जाने वाले जाते हो तो

जाओ बड़े शौक से,

हमने भी पलट कर देखना

अब छोड़ दिया है।

कर दिया कुर्बान खुद को

हमने वफ़ा के नाम पर,

छोड़ गए वो हमको अकेला

मज़बूरियों के नाम पर।

मुझे मंज़ूर था हर सितम तेरा मेरे दिल पर,

पर तेरा छोड़ के जाना सजा-ए-मौत हो गयी।

तू अगर छोड़ के जाने की जिद पे है तो जा,

जान भी जिस्म से जाती है तो कब पूछ के जाती है।

इस तरह से छोड़ दिया उसने मुझे,

जैसे रास्ता हो कोई गुनाह का।

मुद्दतों बाद आज फिर परेशां हुआ है दिल,

जाने किस हाल में होगा मुझे छोड़कर जाने वाला।

तू नहीं तो ये नजारा भी बुरा लगता है,

चाँद के पास सितारा भी बुरा लगता है,

ला के जिस रोज छोड़ा है तूने भंवर में मुझे,

मुझे दरिया का किनारा भी बुरा लगता है।

उठ के पहलू से चले हो तो बताते जाना,

छोड़ के जाते हो अब किसके सहारे मुझको।

किसी और से नहीं पर

खुद से गिला है मुझको,

खुद मेरी वजह से मेरी ज़िन्दगी

छोड़ गई मुझको।