Bewafa Shayari

औरों से तो उम्मीद का रिश्ता भी नहीं था,

तुम इतने बदल जाओगे सोचा भी नहीं था।

हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो,

हमारा शहर तो यूँ ही रास्ते में आया था।

कौन सी स्याही और

कौन सी कलम से लिखता होगा,

जब वो किसी के नसीब में

एक बेवफा लिखता होगा।

वो जिंदगी हो कि दुनिया क्या कीजे,

कि जिससे इश्क करो बेवफा निकलता है।

चाँद उतरा था हमारे आँगन में,

ये सितारों को गंवारा न हुआ,

हम भी सितारों से क्या गिला करें,

जब चाँद ही हमारा न हुआ।

मैं चूड़ियां ही कांच की दे पाया था उसे,

फिर यूँ हुआ वो सोने के कंगन पे मर गई।

वो पल आखिरी होगा मेरी ज़िन्दगी का,

जिस दिन तू मुझसे जुदा होगा,

करार तुझे भी न आने दूँगा मैं,

अगर इस मोड़ पर तू बेवफा होगा।

रिवायतों को निभाने का था सलीका उसको,

वो बेवफाई भी करता रहा वफ़ा के साथ।

मौत मांगते हैं तो ज़िन्दगी खफा हो जाती है,

ज़हर लाते हैं तो वो भी दवा हो जाता है,

तू ही बता ए मेरे दोस्त क्या करूँ,

जिसको भी चाहते हैं वो बेवफा हो जाता है।

तब्दीली जब भी आती है मौसम की अदाओं में,

किसी का यूँ बदल जाना बहुत तकलीफ देना है।

नहीं था यकीन कभी

मिलना पड़ेगा जुदाई के बाद,

फिर भड़क उठेंगे ज़ज्बात

तुम्हारी बेवफाई के बाद।

खो गयी मेरी मोहब्बत, बेवफ़ाई के दलदल में,

मगर इन आँखो को अब भी वफ़ा की तलाश है।

आज तुम्हारी याद ने मुझे रुला दिया,

क्या करूँ तुमने जो मुझे भुला दिया,

न करते वफ़ा न मिलती ये सजा,

मेरी वफ़ा ने तुझे बेवफा बना दिया।

तेरा न हो सका तो मर जाउंगा,

कितना खूबसूरत वो झूठ बोलता था।

उम्मीद-ए-वफ़ा ना रखना

उन लोगों से दोस्तों,

जो मिलते हैं किसी और से

और होते हैं किसी और के।

फासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था,

सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था।

हम तो जल गये

उसकी मोहब्बत में मोमकी तरह,

फिर भी कोई बेवफा कहे

तो उसकी वफ़ा को सलाम।

सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने​​,

​हसीन जिसकी जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है।

इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की,

आज पहली बार उससे मैंने बेवफ़ाई की।

एक शख्स पास रह के समझा नहीं मुझे,

इस बात का मलाल है शिकवा नहीं मुझे,

मैं उस को बेवफ़ाई का इलज़ाम कैसे दूँ,

उसने तो दिल से ही चाहा नहीं मुझे।

एक मुद्दत में परखने का शऊर आता है,

बेवफा कह दूँ उन्हें पहली नजर में कैसे।

वो किसी की खातिर मुझे भूल भी गए तो

कोई बात नहीं,

हम भी तो भूल गए सारा जमाना

उसके खातिर।

अब वो किसी और से कहते होंगे,

कि तुमसे बिछड़ेंगे तो मर जायेंगे।

सिर्फ हम हैं उनके दिल में,

ले डूबी ये गलतफहमी हमको।

इन वफ़ादारी के वादों को इलाही क्या हुआ,

वो वफ़ाएँ करने वाले बेवफ़ा क्यूँ हो गए।

इंतजार हम सारी ऊम्र कर लेंगे

बस खूदा करे तू बेवफा न निकले।

कोई नहीं याद रखता वफ़ा करने वालों को,

मेरी मानो बेवफा हो लो जमाना याद रखेगा।

मोहब्बत में सुनो तुम खुद तो बेवफा हो,

वह जो बिछड़े तो तुम मर क्यों न गए?

हम से क्या हो सका मोहब्बत में,

खैर तुम ने तो बेवफाई की है।

दर्द ही सही मेरे इश्क का इनाम तो आया,

खाली ही सही हाथों में जाम तो आया,

मैं हूँ बेवफा सबको बताया उसने,

यूँ ही सही, उसके लबों पे मेरा नाम तो आया।

हमसे बेवफ़ाई की इन्तहा क्या पूछते हो मोहसिन,

वो हम से प्यार सीखता रहा किसी और के लिए।

कोई दगा देता है किसी को,

तो तुम्हारी और याद आती है।

ये चिराग़-ए-जान भी अजीब है

के जला हुआ है अभी तलक,

उसकी बेवफाई की आँधियाँ तो

कभी की आ के गुज़र गईं।

अब मायूस क्यूँ हो उस की बेवफाई पे फ़राज़,

तुम खुद ही तो कहते थे कि वो सबसे जुदा है।

मजबूरियां ना बताओ मुर्शिद,

तस्लीम करो कि बेवफा हो तुम।

मौसम की मिसाल दूँ या नाम लूँ तुम्हारा,

कोई पूछ बैठा है बदलना किसको कहते हैं।

बेवफाओं की इस दुनियां में संभलकर चलना,

यहाँ मुहब्बत से भी बर्बाद कर देते हैं लोग।

क्या हुआ अगर तन्हाई से दोस्ती कर ली मैंने,

बेशक वो मुझसे बेवफाई तो नहीं करेगी।

फ़र्ज़ था जो मेरा वो निभा दिया मैंने,

उसने जो माँगा वो सब दिया मैंने,

वो सुन के गैरों की बातें बेवफ़ा हो गया,

समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने​।

कोशिश तमाम हमारी नाकाम हो गयी,

आँखों से आँसुओं की बारिश आम हो गयी,

बेवफाई हमसे करके वो चले गए,

लेकिन वफ़ा हमारी बदनाम हो गयी।

किसी बेवफ़ा की खातिर ये जुनूँ फ़राज़ कब तक,

जो तुम्हें भुला चुका है उसे तुम भी भूल जाओ।

जान कर भी वो मुझे जान न पाए,

आज तक वो मुझे पहचान न पाए,

खुद ही कर ली बेवफाई हमने,

ताकि उन पर कोई इलज़ाम न आये।

कैसे बुरा कह दूँ तेरी बेवफाई को,

यही तो है जिसने मुझे मशहूर किया है।

मैं चाहता भी यही था वो बेवफा निकले,

उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले।

एक वफा की कमी थी उसमें,

बाकी तो वो कमाल की थी।

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा,

इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा।

कहते-कहते कुछ बदल देता है क्यों बातें का रुख,

क्यों खुद अपने आप के भी साथ वो सच्चा नहीं।

हम बेवफा हैं ऐलान किये देते हैं,

चल तेरे काम को आसान किये देते हैं।

खुशियों की चाह थी वहां बे-हिसाब ग़म निकले,

बेवफा तू नहीं सनम बद-नसीब तो हम निकले।

बरसे बगैर ही जो घटा आकर निकल गयी,

एक बेवफा का अहद-ए-वफ़ा याद आ गया।

वो दिल में था मगर नजरों से दूर था,

कि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर था,

बेवफा है वो ये कह भी नहीं सके हम,

प्यार तो हमने किया उसका क्या कसूर था।

मेरी वफ़ा पे भी ऐ दोस्त ऐतबार न कर,

मुझे भी तेरी तरह सब से प्यार करना है।

ये उनकी मोहब्बत का नया दौर है,

जहाँ कल मैं था आज कोई और है।

जाते जाते उसने पलटकर

सिर्फ इतना कहा मुझसे,

मेरी बेवफाई से ही मर जाओगे

या मार के जाऊं।

अब के अब तस्लीम कर लें तू नहीं तो मैं सही,

कौन मानेगा कि हम में से बेवफा कोई नहीं।

बातों में तल्खी और लहजे में बेवफाई,

लो ये मोहब्बत भी पहुँची अंजाम पर।

खुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफा को,

दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी।

नजर उनकी जुबाँ उनकी,

अजब है कि इस पर भी,

नजर कुछ और कहती है,

जुबाँ कुछ और कहती है।

उँगलियाँ आज भी इसी सोच में गुम हैं,

कि कैसे उसने नए हाथ को थामा होगा।

वो समझता है कि हर शख्स बदल जाता है,

उसे लगता है कि जमाना उस के जैसा है।