Attitude Shayari

मेरा वक्त भी कयामत की तरह है,

याद रखना आयेगा जरूर।

ज़र्रों मे रहगुजर के चमक छोड़ जाऊँगा,

पहचान अपनी दूर तलक छोड़ जाऊँगा,

खामोशियों की मौत गंवारा नहीं मुझे,

शीशा हूँ टूटकर भी खनक छोड़ जाऊँगा।

जिसकी फितरत थी बगावत करना,

हमने उस दिल पर हुकूमत की है।

मेरी शोहरत के तकाजे अलग थे,

गुमशुदा रहते हुए नाम कमाना था मुझे।

पैदा तो मैं भी शरीफ हुआ था,

पर शराफत से

अपनी कभी बनी नहीं।

तुम नफरत करो या मोहब्बत,

दोनों हमारे हक में बेहतर हैं,

नफरत करोगे तो हम तुम्हारे दिमाग में,

मोहब्बत करोगे तो दिल में बस जायेंगे।

निगाहें नीची रखते हैं बुलंदी के निशां वाले,

उठा कर सर नहीं चलते जमीं पर आसमां वाले।

जुनून, हौसला, और पागलपन आज भी वही है,

मैंने जीने का तरीका बदला है तेवर नहीं।

वो सरफिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे,

मैं आखिरी चिराग था जलना पड़ा मुझे।

​तेरी हर बात ​मोहब्बत में गँवारा करके​,

​दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके​,

​मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी​,​​

​तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।

मेरी है वो मिसाल कि जैसे कोई दरख़्त,

चुप-चाप आँधियों में भी तन्हा खड़ा हुआ।

ये दुनिया मोहब्बत को मोहब्बत नहीं देती,

इनाम तो बड़ी चीज है कीमत नहीं देती,

देने को मैं भी दे सकता हूँ गाली उसे,

मगर मेरी तहजीब मुझे इजाज़त नहीं देती।

जिसे निभा न सकूँ ऐसा वादा नहीं करता,

दावा कोई औकात से ज्यादा नहीं करता।

आदतें बुरी नहीं, शौक ऊँचे हैं,

वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नहीं

कि हम देखे और पूरा ना हो।

आवारगी छोड़ दी हमने

तो लोग भूलने लगे हमें,

वर्ना शौहरत कदम चूमती थी

जब हम बदनाम हुआ करते थे।

आग लगाना मेरी फितरत में नहीं है,

मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर।

तुम लौट आने का तकल्लुफ मत करना,

हम एक मोहब्बत को दो बार नहीं करते।

मेरे हाथों की लकीरों के इज़ाफ़े हैं गवाह,

मैंने पत्थर की तरह खुद को तराशा है बहुत।

हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको,

हम से मुँह देखकर लहजा नहीं बदला जाता।

एक नजर भी देखना गंवारा नहीं उसे,

जरा सा भी एहसास हमारा नहीं उसे,

वो साहिल से देखते रहे डूबना हमारा,

हम भी खुद्दार थे पुकारा नहीं उसे।

वो जिगर ही नहीं,

जिसमे दम न हो,

बेटा अगर तू बदमाश है,

तो हम भी कम नहीं।

मुझे समझना इतना आसान नहीं,

गहरा समंदर हूँ खुला आसमान नहीं।

सुरमे की तरह पीसा है हमें हालातों ने,

तब जा के चढ़े है लोगों की निगाहों में।

हम समंदर हैं, हमें खामोश ही रहने दो,

जरा मचल गये, तो शहर ले डूबेंगे।

हम फकीरों से दोस्ती कर लो,

गुर सिखा देंगे बादशाही के।

न करो बहस हार जाओगी,

हुस्न इतनी बड़ी दलील नहीं।

अच्छा हूँ तो अच्छा ही रहने दो,

बुरा बन गया तो

मुझे झेलने की औकात नहीं तुम्हारी।

लफ्जों से फतह करता हूँ लोगों के दिलों पर,

मैं ऐसा बादशाह हूँ जो लश्कर नहीं रखता।

मैं जनता हूँ कि मेरी खुद्दारियां तुम्हें खो देंगी,

मगर मैं क्या करूँ मुझे माँगने से नफरत है।

काम की बात मैंने की ही नहीं

ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं।

खुद्दारियों में हद से गुजर जाना चाहिए,

इज्ज़त से जी न पाये तो मर जाना चाहिए।

अभी शीशा हूँ सबकी आँखों में चुभता हूं,

जब आईना बन जाऊंगा सारा जहाँ देखेगा।

दोस्तों के दिलों में

और दुश्मनों की खोपड़ी में रहना

आदत है हमारी।

वक्त के साथ ढल गया हूँ मैं,

बस जरा सा बदल गया हूँ मैं।

किताबों की तरह बहुत से अल्फाज़ हैं मुझमें,

और किताबों की तरह ही खामोश रहता हूँ मैं।

फकीर मिजाज हूँ, मैं अपना अंदाज

औरों से जुदा रखता हूँ,

लोग मस्जिदों में जाते हैं,

मैं अपने दिल में खुदा रखता हूँ।

शरारत करो

पर साजिस करने की गलती

कभी मत करना

हम शरीफ हैं सीधे नहीं।

कुछ इस तरह बुनेंगे हम अपनी तकदीर के धागे,

कि अच्छे अच्छो को झुकना पड़ेगा हमारे आगे।

मोहब्बत करना है तो दर्द भी सहना सीखो,

वर्ना ऐसा करो औकात मे रहना सीखो।

मेरे बारे में इतना मत सोचना,

दिल में आता हूँ समझ में नहीं।

काम सब ग़ैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं,

और हम कुछ नहीं करते हैं ग़ज़ब करते हैं,

आप की नज़रों में सूरज की है जितनी अज़्मत,

हम चराग़ों का भी उतना ही अदब करते हैं।

मशहूर होने का कोई शौक नहीं मुझकों,

बस यूंही कुछ लोगों का गुरूर तोड़ना हैं।

मैंने सलीका न सीखा बगीचे की बागवानी का,

फूल हो या काँटे इश्क बराबर करता हूँ।

सोने के जेवर

और हमारे तेवर

लोगों को बहुत महंगे पड़ते हैं।

तू वाकिफ़ नहीं मेरी दीवानगी से,

ज़िद पर आऊँ तो खुदा भी ढूंढ़ लूँ।

उगते हुए सूरज से मिलाते हैं निगाहें,

हम गुजरी हुई रात का मातम नहीं करते।

मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,

वक़्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,

मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर,

रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं।

तेवर तो हम वक्त आने पे दिखायेंगे,

शहर तुम खरीद लो हुकूमत हम चलायेंगे।

यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँ,

धूप कितनी भी तेज हो समंदर नहीं सूखा करते।

बुरे हैं हम तभी तो जी रहे हैं,

अच्छे होते तो दुनिया जीने नहीं देती।