अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारों के,
उतरना दिल में है या दिल से उतरना है।
मेरे अल्फाज तो चुरा लोगे,
वो दर्द कहाँ से लाओगे।
अब ये न पूछना कि ये
अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के
कुछ अपनी सुनाता हूँ।
आज मैंने फिर भेजे थे जज़्बात अपने,
तुमने फिर अल्फ़ाज़ समझ पढ़ के रख दिए।
शायरों से ताल्लुक रखो, तबियत ठीक रहेगी,
ये वो हक़ीम हैं, जो अल्फ़ाज़ों से इलाज करते हैं।
मेरी शायरी का असर उनपे हो भी तो कैसे हो ?
मैं एहसास लिखता हूँ तो वो अल्फाज़ पढ़ते हैं।
अल्फाज गिरा देते हैं जज़्बात की क़ीमत,
हर बात को अल्फाज में... तौला न करो।