Afsos Shayari

रखते थे होठों पे उंगलियां जो मरने के नाम से,

अफसोस वही लोग मेरे दिल के कातिल निकले।

न मोहब्बत संभाली गई, न नफरतें पाली गईं,

अफसोस है उस जिंदगी का, जो तेरे पीछे खाली गई।

मुझे कुछ अफ़सोस नहीं के मेरे पास

सब कुछ होना चाहिए था,

मै उस वक़्त भी मुस्कुराता था

जब मुझे रोना चाहिए था।

गम नहीं कि तुम बेवफा निकले,

मगर अफ़सोस तो इस बात का है,

वो सब लोग सच निकले,

जिनसे हम तुम्हारे लिए लड़े थे।

अफ़सोस तो है तुम्हारे बदल जाने का मगर,

तुम्हारी कुछ बातों ने मुझे जीना सिखा दिया।

उस की आँखों में नज़र आता था

सारा जहाँ मुझ को,

अफ़सोस उन आँखों में कभी

खुद को नहीं देखा मैंने।

अपनी ज़िन्दगी में उन्हें शामिल न कर सके,

चाह कर भी उन्हें हासिल न कर सके,

उन्हें बेवफा से मोहब्बत थी,

अफ़सोस खुद को उनके काबिल न कर सके।

मोहब्बत में लाखों ज़ख्म खाए हमने,

अफ़सोस उन्हें हम पर ऐतबार नहीं,

मत पूछो क्या गुजरती है मेरे दिल पर,

जब वो कहते है हमें तुमसे प्यार नहीं।

उम्मीद थी कि इस ग़म का मदावा हो ही जाएगा,

मगर अफसोस कि पहली मोहब्बत आखिरी निकली।