Aarzoo Shayari

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,

किसी की आँख में हमको भी इंतज़ार दिखे।

एक तुम ही मिल जाते बस इतना काफ़ी था,

सारी दुनिया के तलबगार नहीं थे हम।

मुझे ये डर है तेरी आरजू न मिट जाये,

बहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं।

आरजू थी तेरी मोहब्बत पाने की,

तूने तो नफरत के काबिल भी नहीं समझा।

हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तजू करें,

दिल ही नहीं रहा है कि कुछ आरज़ू करें।

अब तुझसे शिकायत करना

मेरे हक में नहीं,

क्योंकि तू आरजू मेरी थी

पर अमानत शायद किसी और की।

मलाल नहीं है अधूरी ख्वाहिशों का कोई,

तेरे बगैर जिन्दगी में आरजू भी क्या थी।

गम-ए-जमाना ने मजबूर कर दिया वर्ना,

ये आरजू थी कि बस तेरी आरजू करते।

कटती है आरज़ू के सहारे पर ज़िंदगी,

कैसे कहूँ किसी की तमन्ना न चाहिए।

छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करनी,

जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ में क्या माँगना।

तुम्हारी आरजू की है कभी माँगा है जो रब से,

मेरे होंठों पर रहते हो मेरी जाँ तुम दुआ बन के।

दिल की आरज़ू तो बस यही है मेरे सनम,

तेरे दिल में हम रहें मेरे दिल में तुम,

तेरा हाथ हाथ में लेकर चलते रहें यूँही,

यह ज़िन्दगी भी तेरे साथ जीने को पड़े काम।

अब क्या जवाब दूँ मैं कोई मुझे बताये,

वह मुझसे कह रहे हैं क्यों मेरी आरज़ू की।

है आरज़ू एक रात तुम आओ ख्वाब में,

और फिर उस रात की कभी सुबह न हो।

टूटा तिलिस्मे-अहदे-मोहब्बत कुछ इस तरह

फिर आरज़ू की शमा फ़ुरेज़ाँ न कर सके।

न किसी के दिल की हूँ आरजू,

न किसी नजर की हूँ जुस्तजू,

मैं वो फूल हूँ जो उदास है,

न बहार आए तो क्या करूँ।

ये आरज़ू थी कि ऐसा भी कुछ हुआ होता,

मेरी कमी ने तुझे भी रुला दिया होता,

मैं लौट आता तेरे पास एक लम्हे में,

तेरे लबों ने मेरा नाम तो लिया होता।

मुझको ये आरज़ू वो उठाएं नकाब खुद,

उन को ये इंतज़ार तकाजा करे कोई।

एक आरज़ू है पूरी अगर परवरदिगार करे,

मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतज़ार करे।

ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही,

बस टूट कर बिखरने की आरज़ू नहीं रही।

आरजू है कि उसकी हम, हर नजर देखा करें,

वो ही अपने सामने हो, हम जिधर देखा करें,

एक तरफ हो सारी दुनिया, एक तरफ सूरत तेरी,

हम तुझे दुनिया से होकर, बेखबर देखा करें।

अब कोई आरजू नहीं बाकी,

जुस्तजू मेरी आखिरी तुम थे।

गम-ए-आरज़ू तेरी आह में

शब-ए-आरज़ू तेरी चाह में,

जो उजड़ गया वो बसा नहीं

जो बिछड़ गया वो मिला नहीं।

तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी,

कुछ अपना हाल संभालूँ अगर इजाज़त हो।

तुझ से मिले न थे तो कोई आरजू न थी,

देख लिया तुझे तो तेरे तलबगार हो गए।